भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के निदेशक मंडल ने 11 जून को विदेशी मुद्रा बांडों के माध्यम से $3 बिलियन तक जुटाने पर विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक निर्धारित की है। यह कदम भारत की सबसे मूल्यवान सरकारी इकाई की महत्वाकांक्षी वित्तीय योजनाओं का हिस्सा है। इस लेख में, हम एसबीआई की फंड जुटाने की योजना, उसके महत्व, और इसके पीछे की रणनीति पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

SBI की फंड जुटाने की योजना
SBI जो कि संपत्तियों के आधार पर भारत का सबसे बड़ा ऋणदाता है, ने अपनी स्टॉक मार्केट फाइलिंग में यह जानकारी दी। फंडरेज़ एकल या एकाधिक किश्तों में हो सकता है, जिसमें $3 बिलियन तक की राशि सार्वजनिक पेशकश या निजी प्लेसमेंट के माध्यम से वरिष्ठ असुरक्षित नोट्स में अमेरिकी डॉलर या किसी अन्य प्रमुख विदेशी मुद्रा में जारी की जा सकती है। यह चालू वित्त वर्ष, जो मार्च 2025 में समाप्त हो रहा है, के दौरान किया जाएगा।

फंड जुटाने की प्रक्रिया
विदेशी मुद्रा बांड
विदेशी मुद्रा बांड एक प्रकार का बांड है जिसे एक देश की मुद्रा के बजाय एक विदेशी मुद्रा में जारी किया जाता है। एसबीआई की योजना विदेशी मुद्रा बांड जारी करके फंड जुटाने की है, जो उनके लिए एक पुरानी और परीक्षण की गई रणनीति है। यह बैंक की वैश्विक वित्तपोषण जरूरतों को पूरा करने में सहायक है।
सार्वजनिक पेशकश और निजी प्लेसमेंट
फंड जुटाने की योजना में सार्वजनिक पेशकश और निजी प्लेसमेंट दोनों विकल्प शामिल हैं। सार्वजनिक पेशकश में बांड को आम जनता के लिए जारी किया जाता है, जबकि निजी प्लेसमेंट में चुनिंदा निवेशकों के समूह को बांड बेचे जाते हैं। दोनों ही तरीके एसबीआई को अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेंगे।
फंड जुटाने का महत्व
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में एसबीआई की उपस्थिति
एसबीआई का विदेशी बांड बाजार में नियमित रूप से संसाधन जुटाना यह दर्शाता है कि बैंक की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में मजबूत उपस्थिति है। यह बैंक को अपनी ऋण पुस्तक का विदेशों में वित्तपोषण करने की सुविधा देता है।
कूपन दर और बांड मुद्दा
जनवरी 2023 में, एसबीआई ने लंदन शाखा से 5.1% कूपन दर पर पांच-वर्षीय अमेरिकी डॉलर-मूल्यवर्ग के बांडों के माध्यम से $600 मिलियन जुटाए थे। यह पांच-वर्षीय बांड मुद्दा $250 मिलियन के बाद आया था, जो दिसंबर 2023 के अंतिम सप्ताह में ग्रीन बांड जारी कर जुटाया गया था।
स्थिरता और ग्रीन बांड
एसबीआई ने ग्रीन बांड के माध्यम से भी वित्तपोषण किया है, जो कि पर्यावरणीय रूप से स्थायी परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण का एक साधन है। ग्रीन बांड जारी करने से बैंक की स्थिरता और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को भी दर्शाया जाता है।
अन्य बैंकों की फंड जुटाने की योजनाएं
केनरा बैंक
पिछले महीने के अंत में, एक और सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाता, केनरा बैंक ने कहा कि उसके बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹8,500 करोड़ की पूंजी जुटाने की योजना को मंजूरी दी है। इसमें से ₹4,000 करोड़ टियर I बांडों के माध्यम से और ₹4,500 करोड़ टियर II बांडों को जारी कर जुटाया जाएगा, जो बाजार स्थितियों और आवश्यक अनुमोदनों पर निर्भर करेगा।
एसबीआई की रणनीति
वित्तीय स्थिरता
एसबीआई की फंड जुटाने की रणनीति का मुख्य उद्देश्य वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना है। बैंक अपने ऋण पोर्टफोलियो को मजबूत करने और अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए लगातार प्रयासरत है।
निवेशकों का विश्वास
विदेशी बांड बाजार में एसबीआई की नियमित उपस्थिति निवेशकों का विश्वास बनाए रखने में सहायक है। बैंक की अच्छी साख और मजबूत वित्तीय स्थिति उसे निवेशकों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनाती है।
अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण की जरूरत
एसबीआई की अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण की जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा बांड एक महत्वपूर्ण साधन है। यह बैंक को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखता है और उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद करता है।
निष्कर्ष
एसबीआई का $3 बिलियन तक फंड जुटाने की योजना उसके वित्तीय स्थिरता और वैश्विक वित्तपोषण की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विदेशी मुद्रा बांड जारी करना बैंक की एक पुरानी और सफल रणनीति है, जो उसे निवेशकों के बीच लोकप्रिय बनाए रखती है। इसके अलावा, अन्य बैंकों की फंड जुटाने की योजनाएं भी यह दर्शाती हैं कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र अपनी वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने और अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगातार प्रयासरत है।
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एसबीआई की इस योजना का सफल निष्पादन न केवल बैंक की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को भी एक मजबूत संदेश देगा। विदेशी मुद्रा बांडों के माध्यम से फंड जुटाना एक प्रभावी वित्तपोषण साधन है, जो एसबीआई को वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाए रखेगा।