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Asaduddin Owaisi: लोकसभा में शपथ ग्रहण के दौरान ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाकर विवाद खड़ा कर दिया, कहा ‘महात्मा गांधी ने क्या कहा था, पढ़ें…’

Asaduddin Owaisi created controversy by raising slogan of 'Jai Palestine' during oath taking in Lok Sabha, said 'Read what Mahatma Gandhi had said...

Asaduddin Owaisi ने मंगलवार को हैदराबाद से लोकसभा सांसद के रूप में शपथ लेते समय एक विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने उर्दू में शपथ ली और इसे “जय भीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन” के नारे के साथ समाप्त किया। इस नारे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों की तीव्र आपत्तियों को खड़ा कर दिया। आइए विस्तार से समझें कि इस घटना के बाद क्या हुआ, और इसके पीछे की कहानी क्या है।

Asaduddin Owaisi कौन हैं?

असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद हैं। ओवैसी अपने विवादास्पद बयानों और राजनीतिक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई बार संविधान और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दों पर अपनी कड़ी राय व्यक्त की है।

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान विवाद

Asaduddin Owaisi ने लोकसभा में शपथ लेते समय उर्दू में शपथ ली और इसे “जय भीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन” के नारे के साथ समाप्त किया। यह नारा पश्चिम एशियाई क्षेत्र के संघर्ष की अप्रत्याशित चर्चा को संसद में ले आया, जिससे भाजपा के सांसदों ने तीव्र आपत्ति जताई। इस पर अध्यक्षता कर रहे राधा मोहन सिंह ने आश्वासन दिया कि विवादित नारे को संसद के आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।

Asaduddin Owaisi का बचाव

अपने नारे का बचाव करते हुए ओवैसी ने कहा कि उन्होंने संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्य सदस्य भी विभिन्न बातें कहते हैं, तो उनके द्वारा “जय भीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन” कहने में क्या गलत है? उन्होंने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधीजी ने भी फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की थी।

भाजपा की प्रतिक्रिया

केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने ओवैसी की आलोचना करते हुए कहा कि यह “पूरी तरह गलत” है और सदन के नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ओवैसी भारत में रहते हुए ‘भारत माता की जय’ नहीं कहते और उनके द्वारा ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाना असंवैधानिक है। रेड्डी ने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि ओवैसी देश में रहते हुए असंवैधानिक कार्य करते हैं।

महात्मा गांधी और फिलिस्तीन

महात्मा गांधी ने अपने समय में फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की थी। गांधीजी ने यह स्पष्ट किया था कि वे फिलिस्तीन में यहूदी राज्य के विचार के खिलाफ थे। उन्होंने कहा था कि फिलिस्तीन अरबों का है, जैसे इंग्लैंड अंग्रेजों का और फ्रांस फ्रांसीसियों का है। गांधीजी के इस बयान को ओवैसी ने अपने बचाव में उद्धृत किया।

ओवैसी का चुनावी प्रदर्शन

Asaduddin Owaisi ने हाल ही में हैदराबाद सीट से पांचवीं बार लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार माधवी लता को 3.38 लाख वोटों के अंतर से हराया। ओवैसी की इस जीत ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनके पास अपने क्षेत्र में मजबूत जनाधार है।

‘जय फिलिस्तीन’ का नारा और इसका प्रभाव

ओवैसी का ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा न केवल भारतीय राजनीति में एक विवाद का मुद्दा बना, बल्कि इसने एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दे को भी उजागर किया। फिलिस्तीन के लोगों की स्थिति और उनके अधिकारों के समर्थन में ओवैसी का यह नारा महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनके नारे का उद्देश्य उत्पीड़ित लोगों के समर्थन में आवाज उठाना था।

शपथ ग्रहण में विवाद और भारतीय राजनीति

भारतीय राजनीति में शपथ ग्रहण के दौरान विवाद कोई नई बात नहीं है। कई बार सांसद और विधायकों ने अपने शपथ ग्रहण के दौरान विवादास्पद बयान दिए हैं, जिससे संसद में हंगामा हुआ है। ओवैसी का यह मामला भी इसी कड़ी में एक और अध्याय है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि भारतीय राजनीति में विभिन्न मुद्दों पर मतभेद कितने गहरे हैं।

संसद के नियम और शपथ ग्रहण

संसद के नियमों के अनुसार, सांसदों को शपथ ग्रहण के दौरान केवल शपथ या प्रतिज्ञा को ही रिकॉर्ड करने की अनुमति होती है। अन्य किसी भी बयान या नारे को रिकॉर्ड नहीं किया जाता। प्रो-टेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने इस नियम को दोहराया और कहा कि केवल शपथ या प्रतिज्ञा को ही रिकॉर्ड किया जा रहा है। इस नियम का पालन सभी सांसदों को करना होता है।

ओवैसी का समर्थन और विरोध

ओवैसी के इस नारे का समर्थन और विरोध दोनों ही पक्षों से आया। जहां कुछ लोगों ने इसे उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में देखा, वहीं अन्य लोगों ने इसे संविधान और सदन के नियमों के खिलाफ माना। ओवैसी के समर्थकों ने उनके नारे को सही ठहराया और कहा कि उन्होंने केवल उत्पीड़ित लोगों के समर्थन में आवाज उठाई है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का भारतीय राजनीति में स्थान

अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का भारतीय राजनीति में स्थान हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। कई बार भारतीय नेता अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते रहे हैं और यह घटना भी उसी कड़ी का हिस्सा है। ओवैसी का ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा भारतीय राजनीति में अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की गूंज को दर्शाता है।

निष्कर्ष

Asaduddin Owaisi का ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा और इसके बाद उत्पन्न विवाद भारतीय राजनीति में विभिन्न मुद्दों और मतभेदों को उजागर करता है। यह घटना न केवल भारतीय संसद में बल्कि आम जनता में भी चर्चा का विषय बनी। ओवैसी ने अपने नारे का बचाव करते हुए महात्मा गांधी का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने किसी भी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है। यह घटना भारतीय राजनीति में अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के स्थान और उनकी गूंज को दर्शाती है।

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