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परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्री की चोरी की 168 कोशिशें, IAEA ने दी गंभीर चेतावनी

पिछले 30 वर्षों में परमाणु तस्करी के 4,243 मामले, सुरक्षा की बढ़ती चुनौती

दुनिया के 31 देशों में बीते साल परमाणु और रेडियोएक्टिव मैटीरियल चुराने की 168 कोशिशें हुईं | इनमें से छह घटनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने गंभीर चिंता जताई है। पिछले 30 वर्षों में दर्ज 4,243 संदिग्ध मामलों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, जिनमें परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्री की तस्करी, खोना या चोरी शामिल है। 1993 से अब तक सामने आए इन मामलों में से 350 गंभीर तस्करी या दुरुपयोग से जुड़े हो सकते हैं, जो विनाशकारी परिणामों को जन्म दे सकते हैं।यह रेडियोधर्मी पदार्थ बम बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जो विस्फोटकों के साथ रेडियोधर्मी पदार्थों को मिलाकर बनाए जाते हैं और व्यापक पर्यावरणीय प्रदूषण का कारण बन सकते हैं। आतंकवादी समूह या अन्य गैर-राज्यीय हथियार समूह इन सामग्रियों का उपयोग विनाशकारी परमाणु हथियार बनाने के लिए भी कर सकते हैं।

आतंकियों की भी इस पर है नजर

साल 2016 में 1515 की यूके और यूरोप पर परमाणु हमले की योजना बनाई थी। उससे पहले साल 2014 में ISIS ने मोसुल विश्वविद्यालय के परमाणु सामग्री पर कब्जा किया था। वहीं North Caucasus के आतंकियों ने एक परमाणु पनडुब्बी जब्त करने की कोशिश भी की और एक जापानी की ग्रुप ने परमाणु हथियार हासिल करने का प्रयास किया था। पिछले हफ्ते वियना में हुए चौथे अंतरराष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में ये बातें सामने आई कि केवल 145 देश रेडियोएक्टिव मैटेरियल चोरी की रिपोर्ट करते हैं। जेनरेटिव AI अब विकिरण के नतीजों का नकली चित्र बना सकता है। वहीं परमाणु सामग्री की चोरी और तोड़फोड़ एक बड़ा खतरा है। इसलिए साइबर हमलों से लड़ने के लिए नए सुरक्षा कार्यक्रम चाहिए। बता दें कि रूस के परमाणु ऊर्जा प्रमुख एलेक्सी लिखचेव के मुताबिक अगले महीने रूस भारत को अगली पीढ़ी का परमाणु ईंधन सप्लाई कर देगा।

इससे बन जाता है एक डर्टी बम

IAEA को डर है कि चोरी किए गए यूरेनियम से ही बम बनाए जा सकते हैं। जो रेडियो प्रदूषण फैला सकते है। बता दें कि एक टन प्राकृतिक यूरेनियम से 5.6 हथियार ब्रेड यूरेनियम बन सकता है। हिरोशिमा में अमेरिका ने 64 किलोग्राम यूरेनियम वाले एटम बम का इस्तेमाल किया था।

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परमाणु या रेडियोएक्टिव सामग्री या फिर इससे जुड़े कचरे को बेहद कड़े मानकों के साथ ट्रांसपोर्ट, इस्तेमाल और डिस्पोज किया जाता है. बुग्लोवा जोर देकर कहती हैं कि “ट्रांसपोर्ट अब भी लगातार सुरक्षा बेहतर करने वाला विषय बना हुआ है.”

रेडियोएक्टिव मैटीरियल सिर्फ परमाणु कार्यक्रम में ही इस्तेमाल नहीं होते हैं. दुनिया भर के अस्पतालों, यूनिवर्सिटियों, शिपिंग और उद्योगों में भी रेडियोएक्टिव मैटीरियल वाली मशीनरी इस्तेमाल की जाती है.

बीते 30 वर्षों से सबसे बड़ी चिंता यही है कि ऐसी परमाणु सामग्री गलत हाथों में न पड़ जाए. इसका दुरुपयोग कर डर्टी बम बनाए जा सकते हैं. ऐसे बम आम विस्फोटकों का इस्तेमाल करते हुए रेडियोधर्मी प्रदूषण फैला सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक डर्टी बम, परमाणु बमों की तरह विध्वंसक नहीं होंगे लेकिन शहरी आबादी में यह व्यापक अफरा-तफरी फैला सकते हैं.

2023 में भी 31 देशों में ऐसे 168 मामले सामने आए, इनमें से छह को गंभीर की श्रेणी में रखा गया है. आईएईए की न्यूक्लियर सिक्योरिटी डिविजन की डायरेक्टर इलेना बुग्लोवा कहती हैं, “इन वारदातों का दोहराव इस बात की पुष्टि करता है कि रेडियोएक्टिव मैटीरियल को नियंत्रित, सुरक्षित और सही तरीके से ठिकाने लगाने के निगरानी तंत्र को लगातार सजग रहते हुए सुधारने की जरूरत है.”

अंतरराष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा सम्मलेन

यूरोपीय देश ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना से चलने वाले आईएईए ने यह डाटा, चौथे अंतरराष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा सम्मेलन से पहले जारी किया है. यह सम्मेलन शुक्रवार से शुरू हो रहा है. इससे पहले 2020 में भी यह अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस विएना में ही हुई थी. फिलहाल 145 देश परमाणु सामग्री के खोने, चोरी होने या गलत तरीके से डिस्पोज होने की जानकारी आईएईए को देते हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय, द व्हाइट हाउस के वरिष्ठ आर्म्स कंट्रोल व परमाणु अप्रसार अधिकारी प्रणय वड्डी कहते हैं, “परमाणु ऊर्जा और परमाणु मैटीरियल आने वाले वर्षों में और ज्यादा इस्तेमाल में आएंगे.” ऐसे में परमाणु सामग्री को सुरक्षित ढंग से संभालना हर देश के लिए अहम है.

बीते 30 वर्षों से सबसे बड़ी चिंता यही है कि ऐसी परमाणु सामग्री गलत हाथों में न पड़ जाए. इसका दुरुपयोग कर डर्टी बम बनाए जा सकते हैं. ऐसे बम आम विस्फोटकों का इस्तेमाल करते हुए रेडियोधर्मी प्रदूषण फैला सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक डर्टी बम, परमाणु बमों की तरह विध्वंसक नहीं होंगे लेकिन शहरी आबादी में यह व्यापक अफरा-तफरी फैला सकते हैं.

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