ग्रहों को देखना और समझना वैज्ञानिकों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी बहुत रोमांचक होता है। आज आकाश में 6 ग्रहों की परेड होगी; इस महीने फिर से मिलने का मौका, जानिए कितने वर्षों बाद होती है ऐसी घटना – जवाब यहां मिलेगा इस रिपोर्ट में जानिए, कौन से ग्रह परेड करने वाले हैं और कब?
क्या है ग्रहों की परेड?
आपने कई प्रकार की परेड देखी होंगी, लेकिन क्या आपने ग्रहों की परेड देखी है? 3 जून को अंतरिक्ष में ग्रहों की परेड होने वाली है। मगर उत्साही मित्रों, इससे पहले कि आप 3 जून को आगामी ग्रहों की परेड (planetary alignment) के बारे में अत्यधिक उत्साहित हों, विशेषज्ञों की राय जान लें। एबीसी न्यूज के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि यह उतनी शानदार नहीं होगी जितनी कुछ लोग सोच रहे हैं। बृहस्पति (Jupiter), बुध (Mercury), अरुण (Uranus), मंगल (Mars), वरुण (Neptune) और शनि (Saturn) समेत छह ग्रह वास्तव में 3 जून की सुबह परेड करेंगे, लेकिन सभी पृथ्वी से नग्न आंखों से दिखाई नहीं देंगे।

क्यों नहीं दिखाई देंगे सभी ग्रह?
प्रमुख मौसम विज्ञानी जो राव ने अपने एक कॉलम में लिखा है, “जो लोग बृहस्पति या शनि को एक साथ देखने की उम्मीद में 3 जून को सुबह जल्दी उठने और बाहर निकलने की योजना बना रहे हैं, वे काफी निराश होंगे।” नासा और एस्ट्रोनॉमर्स विदाउट बॉर्डर्स के विशेषज्ञों के अनुसार, 3 जून ग्रहों की परेड देखने का सबसे अच्छा समय नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यूरेनस, बुध और बृहस्पति सूर्य के प्रकाश में खो जाएंगे और दृश्यमान होने के लिए क्षितिज के बहुत करीब होंगे।
नासा ने एक विज्ञप्ति में कहा, “कुछ ऑनलाइन स्रोतों ने जून की शुरुआत में (विशेष रूप से 3 जून को) सुबह के आकाश में दिखाई देने वाली ‘ग्रहों की परेड’ के बारे में उत्साह के साथ जानकारी दी है। वास्तव में, छह ग्रहों में से केवल दो (शनि और मंगल ग्रह) इस दिन दिखाई देंगे। बृहस्पति और बुध सुबह के धुंधलके में क्षितिज पर या उससे नीचे होंगे और यूरेनस और नेपच्यून दूरबीन के बिना देखने के लिए बहुत धुंधले हैं, खासकर जब सुबह का आकाश चमकता है।”
तो कब दिखाई देंगे?

क्या यह इच्छा अधूरी रह जाएगी? विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ग्रहों की स्थिति देखने के लिए महीने के अंत तक इंतजार करना चाहिए। नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के सार्वजनिक सहभागिता विशेषज्ञ प्रेस्टन डाइचेस ने यूएसए टुडे को बताया, “मेरे लिए, किसी ग्रह परेड के लिए सबसे करीबी समय 29 जून है, जब आपके पास भोर के समय शनि, तीसरी तिमाही का चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति आकाश में होंगे।”
पहले कब दिखे थे?
इससे पहले 2023 में, बुध, बृहस्पति, शुक्र, यूरेनस और मंगल की परेड 28 मार्च को हुई थी। मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में नासा के उल्कापिंड पर्यावरण कार्यालय के प्रमुख बिल कुक ने उस समय “गुड मॉर्निंग अमेरिका” को बताया, “आप सोच रहे होंगे कि ग्रहों की परेड दुर्लभ है, लेकिन ईमानदारी से कहें तो, हमें हर दो साल में एक बार यह देखने को मिलता है।”
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3 जून के ग्रहों के घटनाएँ: ब्रह्मांड से जुड़े रहस्य और दुर्लभ खगोलीय घटनाएँ हमेशा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। सौरमंडल की घटनाओं में रुचि रखने वाले हर व्यक्ति के लिए सोमवार का दिन बहुत बड़ा होने वाला है। आपके लिए आकाश में एक चमत्कार लेकर आने वाला है। सोमवार (3 जून) से पूरे 1 सप्ताह तक सूर्य निकलने के पहले सौरमंडल में 6 ग्रह एक सीधी रेखा में नजर आएंगे।
नासा के अनुसार आकाश में ऐसी स्थिति बुध, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून से बनेगी। खुशखबरी यह है कि आप यह घटना भारत में भी देख सकते हैं। यह नजारा पूरे 1 सप्ताह तक नजर आएगा। आकाश में यह दृश्य अद्भुत होने वाला है। इस दुर्लभ घटना को ‘परेड ऑफ प्लेनेट्स’ भी कहते हैं।
इससे पहले लगभग 54 साल पहले 1970 में आकाश में ऐसी खगोलीय घटना देखी गई थी। आप खुली आंखों से इस अद्भुत खगोलीय घटना को देख सकेंगे। शनि ग्रह पीले रंग का जबकि मंगल लाल रंग का नजर आएगा। एस्ट्रोलॉजर डॉ. मधु प्रिया ने News18 हिंदी को बताया कि 3 जून को सूर्य उदय होने से पहले सौर मंडल धरती से नजर आएगा और 6 ग्रह एक सीधी रेखा में दिखाई देंगे। यह घटना अपने आप में अद्भुत है। खास बात यह है कि आप धरती से इस अद्भुत नजारे को देख पाएंगे।
भारत में भी यह नजारा 3 जून को सूरज निकलने से पहले देखा जा सकेगा। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, बुध, मंगल, बृहस्पति, शनि, नेपच्यून और यूरेनस इस परेड में शामिल होंगे। ऐसा तभी होता है जब सारे ग्रह सूर्य के एक ही ओर जमा हो जाते हैं।

कैसे देखें इस अद्भुत खगोलीय घटना को?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में इस बारे में एक पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने बताया कि लोग सूर्योदय से ठीक एक घंटे पहले (आपके स्थानीय समय के अनुसार) ग्रहों को इस दुर्लभ स्थिति में देख सकते हैं। सूर्य निकलने के बाद तेज रोशनी के चलते आकाश में यह दृश्य देखना मुश्किल होता है। इसलिए यह खगोलीय घटना आप सूरज उगने से पहले ही देख सकते हैं। हालांकि केवल चंद्रमा, मंगल और शनि ही आकाश में स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे। लोगों को अन्य ग्रहों को देखने के लिए दूरबीन का उपयोग करना होगा।
ग्रहों के नजर आने की यह घटना सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नजर आएगी। वारविक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डैनी स्टीघ के अनुसार यह ग्रह अगस्त 2024 और जनवरी 2025 में सौरमंडल में फिर से एक साथ लाइन में दिखेंगे। इस साल यह घटना 28 अगस्त को एक बार फिर देखने को मिलेगी। इसके बाद आप इसे फरवरी 2025 में देख सकेंगे।
ग्रहों की परेड का महत्व
ग्रहों की परेड न केवल खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता के लिए भी एक यादगार घटना है। यह हमें सौर मंडल की विशालता और हमारी दुनिया की जगह को समझने का अवसर प्रदान करती है। ऐसे घटनाएँ विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और खोज की भावना को प्रोत्साहित करती हैं।
ग्रहों की परेड का वैज्ञानिक विश्लेषण

ग्रहों की परेड का वैज्ञानिक विश्लेषण महत्वपूर्ण है। यह घटना हमें ग्रहों के कक्षाओं और उनके आपसी गुरुत्वाकर्षण प्रभावों को समझने में मदद करती है। जब ग्रह एक सीधी रेखा में आते हैं, तो यह उनके कक्षाओं और गति का अद्भुत प्रदर्शन होता है, जिसे खगोलविद अध्ययन करते हैं।
इस घटना के ऐतिहासिक संदर्भ
ग्रहों की परेड इतिहास में कई बार हुई है और इसे कई संस्कृतियों में विशेष महत्व दिया गया है। पुरानी सभ्यताओं ने ऐसी घटनाओं को स्वर्गीय संकेतों के रूप में देखा और इसे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा बनाया। आधुनिक युग में, यह विज्ञान और शिक्षा के लिए एक अद्भुत अवसर है।
ग्रहों की परेड और खगोलशास्त्र
खगोलशास्त्र में, ग्रहों की परेड का अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें ग्रहों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। यह घटना खगोलशास्त्रियों को ग्रहों के बीच की दूरी, उनके आकार और उनके गुरुत्वाकर्षण प्रभावों को मापने में मदद करती है।
आधुनिक तकनीक और ग्रहों की परेड
आधुनिक तकनीक ने ग्रहों की परेड को और भी रोमांचक बना दिया है। टेलिस्कोप, अंतरिक्ष यान और सैटेलाइट्स के माध्यम से हम इन घटनाओं को अधिक सटीकता और स्पष्टता के साथ देख सकते हैं। यह तकनीक खगोलशास्त्रियों को इन घटनाओं का गहराई से अध्ययन करने का अवसर प्रदान करती है।
नासा और ग्रहों की परेड
नासा जैसी अंतरिक्ष एजेंसियाँ ग्रहों की परेड का अध्ययन करती हैं और इसके माध्यम से हमारे सौर मंडल की और भी
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